Madhu varma

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लेखनी कहानी -मनहूस दिन –पूजा का खौफनाक अंजाम

पूजा का खौफनाक अंजाम


मेरा नाम साधना है और मैं एक आर्ट्स स्टूडेंट हूँ| पिताजी एक सरकारी अफ़सर होने की वजह से हमें बार बार शहर बदलना होता था। देहरादून में अच्छा कॉलेज मिलते ही मैंने वहां Admission ले लिया। क्लास में पहले ही दिन मेरी मुलाकात पूजा हुई। वह दिखने में सुंदर और स्वभाव से बड़ी चंचल थी। उसे पैसे खर्च करने और घूमने-फिरने का बड़ा शौख था। अपनी इसी आदत के कारण पूजा एक दिन रूह कपकपा देने वाली मुसीबत में फँस गयी।

एक दोस्त होने के नाते मैंने उसे बार बार समझाया लेकिन मेरी हर कोशिश नाकाम रही। दरअसल वह अपनी छोटी छोटी ज़रूरतें पूरी करने के लिए लड़कों को टहेलाती रहती थी। उस भयानक द पहर का समय आज भी मुझे याद है, जब हमने बरगद के पेड़ के नीचे खड़े उस लड़के को देखा। कॉलेज जल्द ख़त्म हुआ था तो पूजा हर कीमत पर उस वक्त फिल्म देखने जाना चाहती थी। हमारे पास ज़्यादा पैसे नहीं थे तो, पूजा नें उस लड़के के खर्च पर यह ट्रिप एन्जॉय करने का प्लान बनाया। मैं इस तरह की ओछी हरकत के लिए बिलकुल सहमत नहीं थी। फिर भी पता नहीं क्यूँ मैं उस वक्त खुद को रोक ना सकी।

थोड़ी ही देर में वह लड़का हम दोनों को फिल्म ले जाने के लिए तैयार हो गया। पता नहीं क्यूँ मेरा दिल बुरी तरह गभरा रहा था। उस लड़के की आँखों में गहरी उदासीनता थी, और साथ चलते अजीब गंध महसूस हो रही थी। हम तीनों चलते चलते सिनेमाघर के पास जा पहुंचे। तो अचानक वह लड़का झाडीओं के पास रुक गया। यह बड़ा अजीब था, मैंने और पूजा ने उसे हाथ से इशारा कर के सिनेमाघर की और आने को कहा, लेकिन वह उदासीनता भरी निगाह से हमारी और देखता रहा। अब मैं ख़तरा भाप चुकी थी। कुछ तो ठीक नहीं था। मैंने पूजा को उसकी और जाने से रोक दिया। लेकिन वह मेरा हाथ झटक कर उसकी और बढ़ गयी।

एक पल के लिए जैसे मेरे पैर वहीँ ज़मीन में गढ़ गए। मेरे माथे पर अचानक पसीने छूट गए। कुछ ही देर में पूजा उस लड़के के पास थी। वह उसे जल्दी से साथ आने को शायद बोल रही थी। ताकि पिक्चर शुरू न हो जाए। शायद पूजा को यह मलाल था की कहीं वह लड़का कोई बहाना बना कर मुकर न जाए| मैं दूर से उनकी बहस साफ़ साफ़ नहीं सुन पा रही थी। अचानक उस लड़के ने पूजा की कलाई पकड़ ली और, वह उसे झाडीओं के पीछे खींचने लगा। यह सब देख कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए और मेरी चीख निकल गयी। मेरा दिल बड़ी तेज़ी से धड़कने लगा| मैंने मदद के लिए इधर उधर देखा तो,,,

अगले ही पल वह दोनों मेरी नज़रों से ग़ायब थे। मैं रोती चीखती उनकी और दौड़ पड़ी। शायद मुझे थिएटर की और जा कर लोगों से मदद लानी चाहिए थी। लेकिन इन दोनों की और भागना मेरा त्वरित निर्णय था। मैंने पास जा कर छानबीन की तो, वहां पूजा ज़मीन पर बेसुध पड़ी मिली। उसके चेहरे पर खरोंचे जाने के निशान थे। उसके हाथ पर गहरी सूझन थी और उसका चेहरा ख़ौफ़ज़दा था। फिर मेरी नज़र उसकी सलवार की और गयी। वहां गहरे लाल खून के धब्बे थे।

अभी में कुछ बोलूं उसके पहले पूजा नें मेरे मुंह पर हाथ रख दिया और चुनरी से दाग छिपा लिए। उसने मुझे कहा कि, सहारा दे कर घर तक पहुंचा दो। और बाकी सब भूल जाओ| मैंने रास्ते में बार बार उसे पूछा की, उस एक पल में यह सब कैसे हुआ। वह लड़का कैसे ग़ायब हुआ। उसने क्या किया? लेकिन वह कुछ नहीं बोली। घर पहुँचने पर मैंने पूजा को हमारी दोस्ती की कसम भी दी। ताकि वह मुझे सच सच बता दे की वहां हुआ क्या था। लेकिन आँसू भरी निगाहों से वह सिर्फ इतना बोली की,,,

अगर तू अपनी इस दोस्त को ज़िंदा देखना चाहती है तो, इस हादसे के बारे में मुझसे कुछ भी नहीं पूछोगी। इस घटना के बाद वह पूरी तरह से बदल गयी। उसने हंसना मुस्कुराना जैसे छोड़ ही दिया। उसका कॉलेज भी छूट गया। उन चंद मिनटों में घटित हुए उस हादसे में, मेरी दोस्त पर क्या गुज़री होगी यह तो वही बता सकती है। आज भी मैं देर रात में ख़ौफ़ से जाग जाती हूँ और सोचती हूँ की, काश उस मनहूस दिन को मैं अपनी और पूजा की ज़िंदगी से निकाल सकती।

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